भारतीय संविधान भाग 2: नागरिकता और सामाजिक न्याय की दिशा भारत का संविधान, दुनिया के सबसे विस्तृत और समावेशी संविधानों में से एक है, जो न केवल राज्य की संरचना और प्रशासन के ढांचे को निर्धारित करता है, बल्कि नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। भारतीय संविधान का भाग 2 भारतीय नागरिकता से संबंधित है, जो एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के मूलभूत ताने-बाने को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नागरिकता की परिभाषा और महत्व संविधान का भाग 2 भारतीय नागरिकता को परिभाषित करता है, यह स्पष्ट करता है कि एक व्यक्ति को भारतीय नागरिकता कब और कैसे प्राप्त होती है, और किन परिस्थितियों में यह समाप्त हो सकती है। नागरिकता, किसी भी देश में व्यक्ति और राज्य के बीच एक संप्रभु संबंध को स्थापित करती है। यह एक व्यक्ति को अपने अधिकारों का दावा करने का अधिकार देती है और साथ ही राज्य के प्रति उसकी जिम्मेदारियों को भी स्पष्ट करती है। भारतीय संविधान में नागरिकता की प्राप्ति के विभिन्न आधार हैं, जैसे जन्म, वंश, और पंजीकरण के माध्यम से। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति, जो भारत...
वस्तुनिष्ठ प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दें- 1. गोवा को राज्य का दर्जा किस वर्ष मिला? उत्तर-1987. 2. राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक किसी एक तत्व का उल्लेख कीजिए। उत्तर: राष्ट्रीय भावना। 3. भारत को आजादी किस अधिनियम के तहत मिली? उत्तर- भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 4. सीमांत गांधी के नाम से किसे जाना जाता है? उत्तर- खान अब्दुल गफ्फार खान को। 5. सीमा आयोग ने सीमा पुनर्ग्रहण की घोषणा कब की? उत्तर- 15 अगस्त, 1947 को। 6. 1947 से पहले कश्मीर का शासक कौन था? उत्तर-हरि सिंह। 7. वर्ष 1955 में गठित भाषा आयोग के अध्यक्ष का नाम बताइये। उत्तर- बी जी खेर। 8. हैदराबाद का भारत में विलय किस वर्ष हुआ था? उत्तर-1948 9. राजभाषा अधिनियम किस वर्ष पारित किया गया था? उत्तर-1963. 10. उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ ...