भारतीय संविधान भाग 2: नागरिकता और सामाजिक न्याय की दिशा भारत का संविधान, दुनिया के सबसे विस्तृत और समावेशी संविधानों में से एक है, जो न केवल राज्य की संरचना और प्रशासन के ढांचे को निर्धारित करता है, बल्कि नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। भारतीय संविधान का भाग 2 भारतीय नागरिकता से संबंधित है, जो एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के मूलभूत ताने-बाने को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नागरिकता की परिभाषा और महत्व संविधान का भाग 2 भारतीय नागरिकता को परिभाषित करता है, यह स्पष्ट करता है कि एक व्यक्ति को भारतीय नागरिकता कब और कैसे प्राप्त होती है, और किन परिस्थितियों में यह समाप्त हो सकती है। नागरिकता, किसी भी देश में व्यक्ति और राज्य के बीच एक संप्रभु संबंध को स्थापित करती है। यह एक व्यक्ति को अपने अधिकारों का दावा करने का अधिकार देती है और साथ ही राज्य के प्रति उसकी जिम्मेदारियों को भी स्पष्ट करती है। भारतीय संविधान में नागरिकता की प्राप्ति के विभिन्न आधार हैं, जैसे जन्म, वंश, और पंजीकरण के माध्यम से। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति, जो भारत...
भारत का सिंधु जल संधि स्थगन निर्णय: रणनीतिक, नैतिक और कूटनीतिक विश्लेषण | Gynamic GK भारत का सिंधु जल संधि स्थगन निर्णय: रणनीतिक, नैतिक और कूटनीतिक विश्लेषण प्रकाशित तिथि: 24 अप्रैल 2025 | लेखक: Gynamic GK Team भूमिका 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। इसके जवाब में भारत सरकार ने सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty - IWT) को अस्थायी रूप से स्थगित करने का निर्णय लिया। यह केवल कूटनीतिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि रणनीतिक नीति, नैतिक विवेक और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भारत की बदली प्राथमिकताओं का प्रतीक है। "पानी जीवन का आधार है, परंतु कूटनीति में यह शांति और युद्ध दोनों का हथियार बन सकता है।" 1. सिंधु जल संधि: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि संधि पर हस्ताक्षर: 19 सितंबर 1960 को भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पा...