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The Evolution of Indian Citizenship: Insights from Part 2 of the Constitution

भारतीय संविधान भाग 2: नागरिकता और सामाजिक न्याय की दिशा भारत का संविधान, दुनिया के सबसे विस्तृत और समावेशी संविधानों में से एक है, जो न केवल राज्य की संरचना और प्रशासन के ढांचे को निर्धारित करता है, बल्कि नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। भारतीय संविधान का भाग 2 भारतीय नागरिकता से संबंधित है, जो एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के मूलभूत ताने-बाने को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नागरिकता की परिभाषा और महत्व संविधान का भाग 2 भारतीय नागरिकता को परिभाषित करता है, यह स्पष्ट करता है कि एक व्यक्ति को भारतीय नागरिकता कब और कैसे प्राप्त होती है, और किन परिस्थितियों में यह समाप्त हो सकती है। नागरिकता, किसी भी देश में व्यक्ति और राज्य के बीच एक संप्रभु संबंध को स्थापित करती है। यह एक व्यक्ति को अपने अधिकारों का दावा करने का अधिकार देती है और साथ ही राज्य के प्रति उसकी जिम्मेदारियों को भी स्पष्ट करती है। भारतीय संविधान में नागरिकता की प्राप्ति के विभिन्न आधार हैं, जैसे जन्म, वंश, और पंजीकरण के माध्यम से। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति, जो भारत...

Constitution Why and How Class 11th Notes in Hindi

 11th राजनीति विज्ञान चैप्टर 1 : संविधान क्यो और कैसे संविधान: अर्थ और आवश्यकता संविधान नियमों और कानूनों का वह समूह है जो सरकार को संचालित करने और नागरिकों के अधिकारों व कर्तव्यों को परिभाषित करने के लिए आवश्यक होता है। अंग्रेजी शब्द "Constitution" का अर्थ सरकार की संरचना से है। यह न केवल सरकार के विभिन्न अंगों (कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका) के बीच संबंधों को स्पष्ट करता है, बल्कि सरकार और नागरिकों के बीच संबंधों को भी निर्धारित करता है। संविधान के बिना राज्य अराजकता में बदल जाता है, जैसा कि जेलिनेक ने कहा, "संविधान के बिना राज्य, राज्य नहीं, अराजकता होगी।" संविधान की आवश्यकता सीमित सरकार:  संविधान सरकार की शक्तियों को सीमित करता है, जिससे उसकी निरंकुशता पर अंकुश लगता है और नागरिकों के हितों की रक्षा होती है। नागरिकों के अधिकारों की रक्षा:  यह नागरिकों के अधिकारों को परिभाषित और संरक्षित करता है। न्यायपालिका इन अधिकारों के उल्लंघन पर सरकार को नियंत्रित करती है। सरकारी अंगों के बीच संबंध:  यह सरकार के विभिन्न अंगों की शक्तियों और उनके आपसी संबंधों को स्पष्ट कर...

Political Theory : An Introduction Class 11th Notes in Hindi

राजनीतिक सिद्धांत : एक परिचय ✅ 1.1 राजनीति क्या है? राजनीति की परिभाषा: राजनीति वह कला और विज्ञान है जो समाज में शक्ति (Power), संसाधनों (Resources), और निर्णय लेने (Decision-Making) की प्रक्रिया को संचालित करती है। यह सामाजिक संगठन का आधार है, जिसमें विभिन्न समूहों, व्यक्तियों और संस्थाओं के बीच हितों का टकराव और समन्वय शामिल होता है।   एरिस्टोटल ने इसे "सामाजिक प्राणी के रूप में मनुष्य की गतिविधि" कहा, जो समाज को व्यवस्थित करने के लिए आवश्यक है।   महात्मा गांधी का कथन, "राजनीति हमें सर्प की कुंडली की तरह जकड़ती है और हमें इससे जूझना ही पड़ता है," यह दर्शाता है कि राजनीति अपरिहार्य है, चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक। राजनीति के विभिन्न दृष्टिकोण: लोक सेवा (Public Service): इसे समाज की भलाई और जनहित के लिए एक साधन माना जाता है। उदाहरण: स्वतंत्रता संग्राम में नेताओं ने राजनीति को जनता की मुक्ति के लिए इस्तेमाल किया। छल-कपट (Deception): कुछ लोग इसे व्यक्तिगत लाभ, भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग से जोड़ते हैं। उदाहरण: भ्रष्टाचार के मामले जैसे 2G घोटाला। जनहित के ल...

Election Commission of India: Structure, Functions, Challenges, and Reforms

यह लेख "भारत का चुनाव आयोग (Election Commission of India)" पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। इसमें चुनाव आयोग की स्थापना, संरचना, कार्यप्रणाली, संवैधानिक प्रावधान, अधिकार, जिम्मेदारियाँ, सुधार और चुनौतियों पर चर्चा की गई है। लेख में लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनावों के संचालन में आयोग की भूमिका को भी विस्तार से समझाया गया है। इसके अलावा, ईवीएम, वीवीपैट, आदर्श आचार संहिता और चुनाव सुधारों पर भी प्रकाश डाला गया है। यह लेख भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में चुनाव आयोग के महत्व और उसकी निष्पक्षता को स्पष्ट करता है। भारत का चुनाव आयोग (Election Commission of India) – एक विस्तृत अध्ययन भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां चुनावों के माध्यम से सरकार का गठन होता है। इस चुनावी प्रक्रिया को स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी रूप से संपन्न कराने के लिए भारत का चुनाव आयोग (Election Commission of India - ECI) कार्य करता है। यह एक संवैधानिक संस्था है, जिसकी स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई थी। चुनाव आयोग की मुख्य जिम्मेदारी लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रपति-उपराष...

SOCIAL JUSTICE

सामाजिक न्याय और न्याय के सिद्धांत भूमिका सामाजिक न्याय का अर्थ समाज में सभी व्यक्तियों को समान अधिकार, अवसर और संसाधनों तक पहुँच सुनिश्चित करना है। यह एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण करने का प्रयास करता है जिसमें जाति, धर्म, लिंग, वर्ग या किसी अन्य भेदभाव के आधार पर किसी के साथ अन्याय न हो। सामाजिक न्याय केवल आर्थिक समानता तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक न्याय भी शामिल हैं। कल्याणकारी राज्य की अवधारणा सामाजिक न्याय के आदर्शों पर आधारित होती है, जहाँ सरकार नागरिकों के कल्याण के लिए नीतियाँ बनाती है। समाज में न्याय की अवधारणा को अलग-अलग कालखंडों और सभ्यताओं में अलग-अलग तरीकों से परिभाषित किया गया है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक विभिन्न दार्शनिकों और विचारकों ने न्याय की व्याख्या अपने दृष्टिकोण से की है। न्याय की विभिन्न व्याख्याएँ न्याय की अवधारणा समय और स्थान के अनुसार बदलती रही है। विभिन्न सभ्यताओं में इसे अलग-अलग दृष्टिकोणों से देखा गया है। 1. प्राचीन भारतीय समाज में न्याय प्राचीन भारत में न्याय को धर्म से जोड़ा गया था। धर्म का अर्थ केवल धार्मिक रीति...

11th Political Science : Equality

Equality   The term equality means all human beings have equal right without regarding their colour, gender , race , language or nationality.  Here special preference should be abolished. Absolute Equality - It is an impossible concept because all men are physically and mentally unequal . Everyone's attitude , behaviours & capabilities are different to each other .  Equality of opportunity  - It means that every human beings have  the same right and opportunities to develop their skills and talents & to attain their goals & ambitions .  Natural Inequalities - these are the inequalities that individuals get from their birth.  -By nature people may have different capabilities & talents .  They are not creations of the society .  Social inequalities  -  they are creations of the society. They emerge from the denial of equality to certain groups and also from the exploitation of some groups by others. Three D...

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