भारतीय संविधान भाग 2: नागरिकता और सामाजिक न्याय की दिशा भारत का संविधान, दुनिया के सबसे विस्तृत और समावेशी संविधानों में से एक है, जो न केवल राज्य की संरचना और प्रशासन के ढांचे को निर्धारित करता है, बल्कि नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। भारतीय संविधान का भाग 2 भारतीय नागरिकता से संबंधित है, जो एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के मूलभूत ताने-बाने को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नागरिकता की परिभाषा और महत्व संविधान का भाग 2 भारतीय नागरिकता को परिभाषित करता है, यह स्पष्ट करता है कि एक व्यक्ति को भारतीय नागरिकता कब और कैसे प्राप्त होती है, और किन परिस्थितियों में यह समाप्त हो सकती है। नागरिकता, किसी भी देश में व्यक्ति और राज्य के बीच एक संप्रभु संबंध को स्थापित करती है। यह एक व्यक्ति को अपने अधिकारों का दावा करने का अधिकार देती है और साथ ही राज्य के प्रति उसकी जिम्मेदारियों को भी स्पष्ट करती है। भारतीय संविधान में नागरिकता की प्राप्ति के विभिन्न आधार हैं, जैसे जन्म, वंश, और पंजीकरण के माध्यम से। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति, जो भारत...
प्रश्न 1. 1960 का दशक 'खतरनाक दशक' क्यों माना जाता है? उत्तर- 1960 के दशक को युद्ध ,गंभीर आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता, सांप्रदायिक और क्षेत्रीय विभाजन जैसी कुछ अनसुलझे समस्याओं के कारण 'खतरनाक दशक' के रूप में लेबल किया गया है, जो लोकतांत्रिक परियोजना की विफलता और यहां तक कि देश के विघटन का कारण बन सकता था। 1- गंभीर आर्थिक संकट: भारत-चीन युद्ध 1962 व भारत-पाक युद्ध 1965 के कारण गंभीर आर्थिक संकट उत्पन्न हुआ। सरकार ने इसे रोकने के लिए भारतीय रुपये का अवमूल्यन करने का निर्णय लिया, लेकिन इससे कीमतों में बढ़ोतरी हुई। 2- दो प्रधानमंत्रियों को देश ने खोया: कांग्रेस और देश ने बहुत कम समय में दो प्रधानमंत्रियों को खो दिया। नई प्रधान मंत्री, इंदिरा गांधी एक राजनीतिक नौसिखिया थीं। 3- चौथा आम चुनाव - एक राजनीतिक भूकंप: चौथा आम चुनाव 1967 एक राजनीतिक भूकंप साबित हुआ क्योंकि इसने कांग्रेस को राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर झटका दिया। इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल के अधिकांश वरिष्ठ नेता और मंत्री चुनाव हार गए। 4- गंभीर ...