भारतीय संविधान भाग 2: नागरिकता और सामाजिक न्याय की दिशा भारत का संविधान, दुनिया के सबसे विस्तृत और समावेशी संविधानों में से एक है, जो न केवल राज्य की संरचना और प्रशासन के ढांचे को निर्धारित करता है, बल्कि नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। भारतीय संविधान का भाग 2 भारतीय नागरिकता से संबंधित है, जो एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के मूलभूत ताने-बाने को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नागरिकता की परिभाषा और महत्व संविधान का भाग 2 भारतीय नागरिकता को परिभाषित करता है, यह स्पष्ट करता है कि एक व्यक्ति को भारतीय नागरिकता कब और कैसे प्राप्त होती है, और किन परिस्थितियों में यह समाप्त हो सकती है। नागरिकता, किसी भी देश में व्यक्ति और राज्य के बीच एक संप्रभु संबंध को स्थापित करती है। यह एक व्यक्ति को अपने अधिकारों का दावा करने का अधिकार देती है और साथ ही राज्य के प्रति उसकी जिम्मेदारियों को भी स्पष्ट करती है। भारतीय संविधान में नागरिकता की प्राप्ति के विभिन्न आधार हैं, जैसे जन्म, वंश, और पंजीकरण के माध्यम से। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति, जो भारत...
यह लेख "भारत का चुनाव आयोग (Election Commission of India)" पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। इसमें चुनाव आयोग की स्थापना, संरचना, कार्यप्रणाली, संवैधानिक प्रावधान, अधिकार, जिम्मेदारियाँ, सुधार और चुनौतियों पर चर्चा की गई है। लेख में लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनावों के संचालन में आयोग की भूमिका को भी विस्तार से समझाया गया है। इसके अलावा, ईवीएम, वीवीपैट, आदर्श आचार संहिता और चुनाव सुधारों पर भी प्रकाश डाला गया है। यह लेख भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में चुनाव आयोग के महत्व और उसकी निष्पक्षता को स्पष्ट करता है। भारत का चुनाव आयोग (Election Commission of India) – एक विस्तृत अध्ययन भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां चुनावों के माध्यम से सरकार का गठन होता है। इस चुनावी प्रक्रिया को स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी रूप से संपन्न कराने के लिए भारत का चुनाव आयोग (Election Commission of India - ECI) कार्य करता है। यह एक संवैधानिक संस्था है, जिसकी स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई थी। चुनाव आयोग की मुख्य जिम्मेदारी लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रपति-उपराष...