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The Evolution of Indian Citizenship: Insights from Part 2 of the Constitution

भारतीय संविधान भाग 2: नागरिकता और सामाजिक न्याय की दिशा भारत का संविधान, दुनिया के सबसे विस्तृत और समावेशी संविधानों में से एक है, जो न केवल राज्य की संरचना और प्रशासन के ढांचे को निर्धारित करता है, बल्कि नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। भारतीय संविधान का भाग 2 भारतीय नागरिकता से संबंधित है, जो एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के मूलभूत ताने-बाने को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नागरिकता की परिभाषा और महत्व संविधान का भाग 2 भारतीय नागरिकता को परिभाषित करता है, यह स्पष्ट करता है कि एक व्यक्ति को भारतीय नागरिकता कब और कैसे प्राप्त होती है, और किन परिस्थितियों में यह समाप्त हो सकती है। नागरिकता, किसी भी देश में व्यक्ति और राज्य के बीच एक संप्रभु संबंध को स्थापित करती है। यह एक व्यक्ति को अपने अधिकारों का दावा करने का अधिकार देती है और साथ ही राज्य के प्रति उसकी जिम्मेदारियों को भी स्पष्ट करती है। भारतीय संविधान में नागरिकता की प्राप्ति के विभिन्न आधार हैं, जैसे जन्म, वंश, और पंजीकरण के माध्यम से। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति, जो भारत...

11th राजनीति विज्ञान प्रश्नावली हल

अध्याय 3 - समानता


प्रश्न 1: कुछ लोगों का तर्क है कि असमानता प्राकृतिक है जबकि अन्य का कहना है कि यह समानता है जो प्राकृतिक है और जो असमानताएँ हम अपने चारों ओर देखते हैं वे समाज द्वारा बनाई गई हैं।  आप किस दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं?  कारण दे। 


 उत्तर: तर्क या स्पष्टीकरण से समर्थित कोई भी उत्तर उद्देश्य का समाधान करेगा।  यह दृढ़तापूर्वक अनुशंसा की जाती है कि आप समाधान स्वयं तैयार करें।  हालाँकि, आपके संदर्भ के लिए एक नमूना समाधान प्रदान किया गया है:

 समानता प्राकृतिक है और जो असमानताएँ हम अपने चारों ओर देखते हैं वे समाज द्वारा बनाई गई हैं।  सामान्य मानवता के कारण लोग स्वाभाविक रूप से समान हैं।  समाज में असमान अवसर और एक समूह द्वारा दूसरे समूहों के शोषण के कारण असमानता मौजूद है।  प्राकृतिक असमानताएँ वे हैं जो लोगों के बीच उनकी विभिन्न क्षमताओं और प्रतिभाओं के परिणामस्वरूप उभरती हैं।  सामाजिक परिस्थितियाँ व्यक्ति को उसकी प्रतिभा और क्षमताओं को विकसित करने में मदद करती हैं।  समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए विभिन्न प्रस्थितियाँ और भूमिकाएँ आवश्यक हैं लेकिन ये प्रस्थितियाँ और भूमिकाएँ समाज द्वारा तय की जाती हैं जो असमानता दर्शाती हैं।  समाज लोगों को नस्ल, लिंग, जाति, वर्ग आदि के आधार पर वर्गीकृत करता है जो असमानता पैदा करते हैं।  इस प्रकार, समाज रूढ़िबद्ध धारणाएँ बनाकर कुछ नस्ल, लिंग, जाति, वर्ग को निम्न या श्रेष्ठ मानने का लेबल लगाता है। 


 प्रश्न 2: एक विचार है कि पूर्ण आर्थिक समानता न तो संभव है और न ही वांछनीय है।  यह तर्क दिया जाता है कि एक समाज जो सबसे अधिक कर सकता है वह है समाज के सबसे अमीर और सबसे गरीब सदस्यों के बीच अंतर को कम करने का प्रयास करना।  क्या आप सहमत हैं?


  उत्तर: तर्क या स्पष्टीकरण से समर्थित कोई भी उत्तर उद्देश्य का समाधान करेगा।  यह दृढ़तापूर्वक अनुशंसा की जाती है कि आप समाधान स्वयं तैयार करें।  हालाँकि, आपके संदर्भ के लिए एक नमूना समाधान प्रदान किया गया है: 

यह सही है कि वांछनीय होने पर भी पूर्ण आर्थिक समानता संभव नहीं है। कोई भी समाज अधिकतम यही कर सकता है कि वह आर्थिक समानता लाने के लिए समाज के सबसे अमीर और सबसे गरीब सदस्यों के बीच अंतर को कम करने का प्रयास करे। समाज में सदस्यों के लिए अलग-अलग स्थिति, भूमिकाएँ और पद होते हैं ताकि वे सुचारू रूप से कार्य कर सकें।लोग अपनी क्षमताओं के अनुसार अलग-अलग रैंक हासिल करते हैं और पुरस्कार उनके रैंक से जुड़े काम और जिम्मेदारियों के बराबर होते हैं।  अत: पूर्ण आर्थिक समानता संभव नहीं हो सकती क्योंकि समाज में आय में असमानता बनी रहेगी।  समाज के सबसे अमीर और सबसे गरीब सदस्यों के बीच अंतर को उनकी पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना सभी को अवसर में समानता प्रदान करके कम किया जा सकता है।  


प्रश्न 3: निम्नलिखित अवधारणाओं को उचित उदाहरणों के साथ सुमेलित करें:

 (ए) सकारात्मक कार्रवाई (i) प्रत्येक वयस्क नागरिक को वोट देने का अधिकार है।


(बी) अवसर की समानता (ii) बैंक वरिष्ठ नागरिकों को उच्च ब्याज दर प्रदान करते हैं।


(सी) समान अधिकार  (iii) प्रत्येक बच्चे को मुफ्त शिक्षा मिलनी चाहिए।


 उत्तर: 

(ए) सकारात्मक कार्रवाई (ii) बैंक वरिष्ठ नागरिकों को उच्च ब्याज दर प्रदान करते हैं 


(बी) अवसर की समानता (iii) प्रत्येक बच्चे को मुफ्त शिक्षा मिलनी चाहिए 


(सी) समान अधिकार।  (i) प्रत्येक वयस्क नागरिक को वोट देने का अधिकार है 


प्रश्न 4: किसानों की समस्याओं पर एक सरकारी रिपोर्ट कहती है कि छोटे और सीमांत किसानों को बाजार से अच्छी कीमत नहीं मिल सकती है।  यह अनुशंसा करता है कि सरकार को बेहतर कीमत सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए, लेकिन केवल छोटे और सीमांत किसानों के लिए।  क्या यह सिफ़ारिश समानता के सिद्धांत के अनुरूप है? 


 उत्तर: सरकार की सिफारिश समानता के सिद्धांत के अनुरूप है क्योंकि छोटे और सीमांत किसानों के हितों को सुरक्षित करने के लिए हस्तक्षेप आवश्यक है।  छोटे और सीमांत किसानों के पास ऑफ-सीजन के दौरान खुद को बनाए रखने के लिए पर्याप्त संसाधनों तक पहुंच नहीं है।  इसलिए, उन्हें अपनी उपज के लिए बेहतर मुआवजे की आवश्यकता है। 


 प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है और क्यों?  


(ए) कक्षा में प्रत्येक बच्चा बारी-बारी से नाटक का पाठ पढ़ेगा। 

 

(बी) कनाडा सरकार ने द्वितीय विश्व युद्ध के अंत से 1960 तक श्वेत यूरोपीय लोगों को कनाडा में प्रवास करने के लिए प्रोत्साहित किया।


(सी) वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक अलग रेलवे आरक्षण काउंटर है। 


 (डी) कुछ वन क्षेत्रों तक पहुंच कुछ आदिवासी समुदायों के लिए आरक्षित है। 


 उत्तर: (ए) यह समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं है क्योंकि कक्षा में अनुशासन और सुसंगतता बनाए रखने के लिए बारी-बारी से पढ़ना आवश्यक है।


(बी) यह समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन है क्योंकि गोरे यूरोपीय लोगों को उनके रंग के अंतर के आधार पर रंगीन लोगों पर प्राथमिकता और विशेषाधिकार दिया गया था। 


 (सी) यह समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं है क्योंकि यह अधिकार वरिष्ठ नागरिकों को उनकी विशेष आवश्यकताओं के आधार पर दिया गया है। 


(डी) यह समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं है क्योंकि यह आदिवासी लोगों के आजीविका अधिकारों और संस्कृति की रक्षा करता है। 


 प्रश्न 6: महिलाओं को वोट देने के अधिकार के पक्ष में यहां कुछ तर्क दिए गए हैं।  इनमें से कौन सा समानता के विचार के अनुरूप है?  कारण दे। 


 (ए) महिलाएं हमारी मां हैं।  हम अपनी माताओं को वोट देने के अधिकार से वंचित करके उनका अपमान नहीं करेंगे। 


 (बी) सरकार के फैसले पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी प्रभावित करते हैं, इसलिए शासकों को चुनने में उनकी भी हिस्सेदारी होनी चाहिए।


 (सी) महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं देने से परिवार में कलह पैदा होगी।


 (डी) महिलाएं मानवता का आधा हिस्सा हैं। आप उन्हें वोट देने के अधिकार से वंचित करके लंबे समय तक अपने अधीन नहीं रख सकते।


  उत्तर: (ए) यह समानता के विचार के अनुरूप नहीं है क्योंकि यह समानता के सिद्धांतों पर आधारित नहीं है बल्कि यह तर्क हमारी भावनाओं से उत्पन्न होता है।


 (बी) यह समानता के विचार के अनुरूप है क्योंकि यह तर्क महिलाओं पर निर्णय लेने की प्रक्रिया के प्रभाव पर आधारित है और इसलिए, निर्णय निर्माताओं को चुनने का उनका अधिकार है। 


 (सी) यह समानता के विचार के अनुरूप नहीं है क्योंकि यह महिलाओं को अपने प्रतिनिधियों को चुनने का समान अवसर देने के बजाय परिवार के विघटन से अधिक चिंतित है।  


(डी) यह समानता के विचार के अनुरूप है क्योंकि यह तर्क तर्कसंगत सोच पर आधारित है।  समाज की संरचना में महिलाओं को पुरुषों के बराबर माना जाता है और इसलिए उन्हें वोट डालने के लिए समान महत्व और अवसर दिया जाता है।


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अध्याय 2.2 : स्वतंत्रता प्रश्नावली हल


 Q1 . स्वतंत्रता से क्या आशय है ? क्या व्यक्ति के लिए स्वतंत्रता और राष्ट्र के लिए स्वतंत्रता में कोई संबंध है । 


उत्तर : स्वतंत्रता का अर्थ व्यक्ति की आत्म - अभिव्यक्ति की योग्यता का विस्तार करना और उसके अंदर की संभावनाओं को विकसित करना है । इस अर्थ में स्वतंत्रता वह स्थिति है , जिसमें लोग अपनी रचनात्मकता और क्षमताओं का विकास कर सके । स्वतंत्रता के दो पहलु महत्वपूर्ण है जिनमे ( i ) बाहरी प्रतिबंधों का अभाव है | ( ii ) लोगों के अपनी प्रतिभा का विकास करना है |


Q2 . स्वतंत्रता की नकारात्मक और सकारात्मक अवधारणा में क्या अंतर है ? 


उत्तर : स्वतंत्रता की नकारात्मक और सकारात्मक अवधारणा में अंतर : 


स्वतंत्रता की नकारात्मक अवधारणा के पक्ष 

नकारात्मक स्वतंत्रता को प्राचीन विचारक ज्यादा महत्व देते है क्योंकि उनका मानना था कि स्वतंत्रता से अभिप्राय है मनुष्यों पर किसी भी प्रकार से बंधनों का अभाव / मुक्ति से है या मनुष्य पूर्ण रूप से स्वतंत्र हो । तथा उसकी कार्यों पर किसी भी प्रकार का प्रतिबन्ध होना चाहिए | मनुष्य को अपने अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए वह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र जैसे राजनितिक , आर्थिक , सामाजिक तथा धार्मिक रूप से स्वतंत्र होना चाहिए | व्यक्ति को अपने विवेक के अनुसार जो कुछ करना चाहता है उसे करने देना चाहिए । राज्य के द्वारा उस पर किसी भी प्रकार से प्रतिबन्ध नहीं लगाना चाहिए । जॉन लॉक , एडम स्मिथ और जे . एस . मिल आदि विचारक स्वतंत्रता के नकारात्मक पक्षधर थे । जॉन लॉक को नकारात्मक स्वतंत्रता के प्रतिपादक माने जाते है ।

इनके अनुसार

 1. स्वतंत्रता का अर्थ प्रतिबंधों का अभाव है ।

 2. व्यक्ति पर राज्य द्वारा कोई नियंत्रण नहीं होना चाहिए | 

3. वह सरकार सर्वोत्तम है जो कम से कम शासन करे | 

4. सम्पति और जीवन की स्वतंत्रता असीमित होती है । 


स्वतंत्रता की सकारात्मक अवधारणा के पक्ष


 जॉन लास्की और मैकाइवर स्वतंत्रता के सकारात्मक सिद्धांत के प्रमुख समर्थक है । उनका मानना है कि स्वतंत्रता केवल बंधनों का अभाव नहीं है । मनुष्य समाज में रहता है और समाज का हित ही उसका हित है । • समाज हित के लिए सामाजिक नियमों तथा आचरणों द्वारा नियंत्रित रहकर व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के लिए अवसर की प्राप्ति ही स्वतंत्रता है ।

 सकारात्मक स्वतंत्रता की विशेशताएँ है 

1. स्वतंत्रता का अर्थ प्रतिबंधों का अभाव नहीं है । सामजिक हित लिए व्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबन्ध लगाये जा सकते है । 

2 . स्वतंत्रता और राज्य के कानून परस्पर विरोधी नहीं है | कानून स्वतंत्रता को नष्ट नहीं करते बल्कि स्वतंत्रता की रक्षा करते है । 

3. स्वतंत्रता का अर्थ उन सामजिक परिस्थियों का विद्ध्यमान होना है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में सहायक हों ।


 Q3 . सामाजिक प्रतिबंधों से क्या आशय ? क्या किसी भी प्रकार के प्रतिबन्ध स्वतंत्रता के लिए आवश्यक हैं ?


 उत्तर : सामजिक प्रतिरोध शब्द का तात्पर्य है कि सामजिक बंधन और अभिव्यक्ति पर जातिय एवं व्यक्ति के व्यवहार पर नियंत्रण से है । ये बंधन प्रभुत्व और बाह्य नियत्रंण से आता है । ये बंधन विभिन्न विधियों से थोपे जा सकते हैं ये कानून , रीतिरिवाज , जाति , असमानता , समाज की रचना हो सकती है । स्वतंत्रता के वास्तविक अनुभव के लिए सामाजिक और क़ानूनी बंधन आवश्यक है तथा प्रतिरोध और प्रतिबन्ध न्यायसंगत और उचित होना चाहिए । लोगों की स्वतंत्रता के लिए प्रतिरोध जरूरी है क्योंकि विना उचित प्रतिरोध या बंधन के समाज में आवश्यक व्यवस्था नहीं होगी जिससे लोगों की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है । 


Q4 . नागरिकों की स्वतंत्रता को बनाए रखने में राज्य की क्या भूमिका है ?


 उत्तर : नागरिकों की स्वतंत्रता को बनाए रखने में राज्य की भूमिका :

 राज्य के संबंध में कई विचारकों का मानना है कि राज्य लोगों की स्वतंत्रता के बाधक है । इसलिए उनकी राय में राज्य के समान कोई संस्था नहीं होनी चाहिए । व्यक्तिवादियों का मानना है कि राज्य एक आवश्यक बुराई है इसलिए वे एक पुलिस राज्य चाहते है जो मानव की स्वतंत्रता की रक्षा बाहरी आक्रमणों और भीतरी खतरों से कर सके | इसलिए आधुनिक स्थिति में स्वतंत्रता की अवधारणा और स्वतंत्रता के आवश्यक अवयव बदल गए है । आज इस तथ्य को स्वीकार किया जाता है कि प्रतिरोध और उचित बंधन आवश्यक हैं । यह स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए ज़रूरी है । 


Q5 . अभिव्यक्ति की स्वंतत्रता का क्या अर्थ है ? आपकी राय में इस स्वंतत्रता पर समुचित प्रतिबन्ध क्या होंगे ? उदाहरण सहित बताइए । 


उत्तर : अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से अभिप्राय है कि व्यक्ति की मौलिक आवश्यकता है जो प्रजातंत्र को सफल बनाती है तथा इसका अर्थ है कि एक पुरुष या स्त्री को स्वयं को अभिव्यक्त करने की पूर्ण स्वतंत्रता होनी चाहिए | जैसे लिखने कार्य करने , चित्रकारी करने , बोलने या कलात्मक करने की पूर्ण स्वतंत्रता | उदाहरण के लिए , भारतीय संविधान में नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है , परन्तु साथ ही कानून व्यवस्था , नैतिकता , शान्ति और राष्ट्रीय सुरक्षा को यदि नागरिक द्वारा हानि होने की आशंका की अवस्था में न्यायसंगत बंधन लगाने का प्रावधान है । इस प्रकार विध्यमान परिस्थियों में न्यायसंगत प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है । परन्तु इस परिबंध का विशेष उद्देश्य होता है और यह न्यायिक समीक्षा के योग्य हो सकता है ।


Q1.  What is meant by freedom?  Is there any relation between liberty for the individual and liberty for the nation.



 Answer: Freedom means expanding one's capacity for self-expression and developing one's potential.  In this sense, freedom is the condition in which people can develop their creativity and abilities.  Two aspects of freedom are important in which (i) the absence of external restrictions.  (ii) People have to develop their talents.



 Q2.  What is the difference between negative and positive concept of liberty?



 Answer: Difference between negative and positive concept of freedom:



 aspects of the negative concept of liberty


 Ancient thinkers give more importance to negative freedom because they believed that freedom means absence / freedom from any kind of bondage on humans or humans should be completely free.  And there should be any kind of restriction on his actions.  Man should have the freedom to act according to himself, he should be independent in every sphere of life like political, economic, social and religious.  A person should be allowed to do whatever he wants to do according to his conscience.  It should not be banned by the state in any way.  John Locke, Adam Smith and J.  S .Mill like Thinkers were in favor of negative freedom.  John Locke is considered the exponent of negative liberty.


 according to


 1. Freedom means absence of restrictions.


 2. There should be no control by the state on the individual.


 3. That government is best which governs the least.


 4. The liberty of property and life is unlimited.



 aspects of the positive concept of freedom



 John Laski and MacIver are the main proponents of the positive theory of liberty.  He believes that freedom is not merely the absence of restrictions.  Man lives in the society and the interest of the society is his interest.  • Freedom is the getting of opportunity for the full development of personality by being controlled by social rules and practices for the benefit of the society.


 The characteristics of positive liberty are


 1. Liberty does not mean absence of restrictions.  Restrictions can be imposed on the freedom of a person for social interest.


 2 .  Liberty and the law of the state are not contradictory.  Laws do not destroy liberty but protect liberty.


 3. Liberty means the existence of those social conditions which are helpful in the development of the individual's personality.



 Q3.  What is meant by social restrictions?  Are any kind of restrictions necessary for freedom?



 Answer: The term social resistance refers to the control over the behavior of caste and individual over social bondage and expression.  This bondage comes from dominance and external control.  These bonds can be imposed by various methods, it can be law, custom, caste, inequality, creation of society.  Social and legal restraints are necessary for the real experience of freedom, and restraints and restrictions must be just and fair.  Resistance is necessary for the freedom of the people because without proper resistance or bondage there will be no necessary order in the society which can affect the freedom of the people.



 Q4.  What is the role of the state in maintaining the liberty of the citizens?



 Answer: The role of the state in maintaining the freedom of the citizens:


 Regarding the state, many thinkers believe that the state is an obstacle to the freedom of the people.  Therefore, in his opinion, there should be no institution like the state.  Individualists believe that the state is a necessary evil, so they want a police state that can protect human freedom from external attacks and internal threats.  Therefore in the modern situation the concept of freedom and the essential ingredients of freedom have changed.  Today it is an accepted fact that resistance and proper restraint are necessary.  It is necessary for the protection of liberty.



 Q5.  What is meant by freedom of expression?  In your opinion, what would be the appropriate restrictions on this freedom?  Explain with example.



 Answer: Freedom of expression means that it is a fundamental need of the individual which makes democracy successful and it means that a man or a woman should have full freedom to express himself.  Like complete freedom to write, paint, speak or do artistic work.  For example, the Indian Constitution has given citizens the right to freedom of expression, but at the same time, there is a provision to impose justifiable restrictions on law and order, morality, peace and national security, if the citizen is expected to be harmed.  In this way, justifiable restrictions can be imposed in the prevailing circumstances.  But this limitation has a special purpose and may be amenable to judicial review.



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अध्याय 1.2 - भारतीय संविधान में अधिकार


प्रश्नावली हल


1- इनमें से प्रत्येक कथन के सामने सत्य या असत्य लिखें: 

क) अधिकारों का विधेयक किसी देश के लोगों को प्राप्त अधिकारों को निर्धारित करता है।

 ख) अधिकारों का विधेयक किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करता है। 

 ग) विश्व के प्रत्येक देश के पास अधिकारों का विधेयक है। 

 घ) संविधान अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ उपचार की गारंटी देता है।  

उत्तर: a) सत्य b) सत्य c) असत्य d) सत्य


 प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकारों का सबसे अच्छा वर्णन है?  

क) सभी अधिकार एक व्यक्ति के पास होने चाहिए।  

ख) कानून द्वारा नागरिकों को दिए गए सभी अधिकार।  

ग) संविधान द्वारा दिए गए और संरक्षित अधिकार।  

घ) संविधान द्वारा दिए गए अधिकार जिन्हें कभी भी प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता।  

उत्तर: ग) संविधान द्वारा दिए गए और संरक्षित अधिकार।


  प्रश्न 3: निम्नलिखित स्थितियाँ पढ़ें।  प्रत्येक मामले में किस मौलिक अधिकार का उपयोग या उल्लंघन किया जा रहा है और कैसे? 

 a) अधिक वजन वाले पुरुष केबिन क्रू को राष्ट्रीय एयरलाइंस में पदोन्नति पाने की अनुमति है, लेकिन वजन बढ़ने वाली उनकी महिला सहयोगियों को दंडित किया जाता है।  

ख) एक निर्देशक एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाता है जो सरकार की नीतियों की आलोचना करती है।  

ग) एक बड़े बांध से विस्थापित लोगों ने पुनर्वास की मांग को लेकर रैली निकाली।  

d) आंध्र समाज आंध्र प्रदेश के बाहर तेलुगु माध्यम में स्कूल चलाता है।

उत्तर: क) जिस अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है वह रोजगार में अवसर की समानता का अधिकार है। 

 ख) जिस अधिकार का प्रयोग किया जा रहा है वह भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। 

 ग) जिस अधिकार का उपयोग किया जा रहा है वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्वक एकत्र होने की स्वतंत्रता है। 

 घ) इस्तेमाल किया जाने वाला अधिकार किसी को अपनी भाषा और संस्कृति सुरक्षित रखने और उसे संवर्धित करने का सांस्कृतिक अधिकार है। 


 प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकारों की सही व्याख्या है? 

 क) केवल अल्पसंख्यक समूह के बच्चे जिन्होंने शिक्षण संस्थान खोला है वे वहां पढ़ सकते हैं।

 ख) सरकारी स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि अल्पसंख्यक समूह के बच्चों को उनकी आस्था और संस्कृति से परिचित कराया जाएगा।  

ग) भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक अपने बच्चों के लिए स्कूल खोल सकते हैं और इसे उनके लिए आरक्षित रख सकते हैं। 

 घ) भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक यह मांग कर सकते हैं कि उनके बच्चों को उनके समुदाय द्वारा प्रबंधित संस्थानों के अलावा किसी भी शैक्षणिक संस्थान में नहीं पढ़ना चाहिए। 

 उत्तर: ग) भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक अपने बच्चों के लिए स्कूल खोल सकते हैं और इसे उनके लिए आरक्षित रख सकते हैं।


 प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और क्यों? 

a) न्यूनतम वेतन न देना।

b) किसी किताब पर प्रतिबंध लगाना। 

c) रात 9 बजे के बाद लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाना।  d) भाषण देना 

उत्तर: a) न्यूनतम मजदूरी का भुगतान न करना मौलिक अधिकार का उल्लंघन है क्योंकि यह शोषण का एक रूप है।

  b) किसी पुस्तक पर प्रतिबंध लगाना नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विरुद्ध है।  


प्रश्न 6:गरीबों के बीच काम करने वाले एक कार्यकर्ता का कहना है कि गरीबों को मौलिक अधिकारों की जरूरत नहीं है. उन्हें निर्देशक सिद्धांतों को कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाने की आवश्यकता है। क्या आप इस बात से सहमत हैं?  अपने कारण दें।


  उत्तर: तर्क या स्पष्टीकरण से समर्थित कोई भी उत्तर उद्देश्य का समाधान करेगा। यह दृढ़तापूर्वक अनुशंसा की जाती है कि आप समाधान स्वयं तैयार करें। हालाँकि, आपके संदर्भ के लिए एक नमूना समाधान प्रदान किया गया है:


 नहीं, मैं इस कथन से सहमत नहीं हूँ।  समाज के किसी भी वर्ग को मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है और यह बात गरीब वर्गों पर भी लागू होती है।  जबकि गरीबों की स्थिति में सुधार के लिए निर्देशक सिद्धांतों का कार्यान्वयन आवश्यक है, मौलिक अधिकार सार्वभौमिक हैं क्योंकि वे प्रत्येक नागरिक की गरिमा सुनिश्चित करते हैं और लोगों के बीच समानता का आधार बनाते हैं।  संवैधानिक उपचार का अधिकार जैसे कुछ अधिकार राज्य की मनमानी कार्रवाई से समाज के सबसे गरीब और कमजोर वर्गों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।  सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए निर्देशक सिद्धांतों का प्रवर्तन महत्वपूर्ण है।  हालाँकि, किसी भी प्रकार के भेदभाव या अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए अभी भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आवश्यकता है। 


 प्रश्न 7: कई रिपोर्टों से पता चलता है कि पहले मैला ढोने से जुड़े जाति समूहों को इस काम में बने रहने के लिए मजबूर किया जाता है।  सत्ता के पदों पर बैठे लोग उन्हें कोई अन्य नौकरी देने से इनकार कर देते हैं।  उनके बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने से हतोत्साहित किया जाता है।  इस उदाहरण में उनके कौन से मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है?


  उत्तर: इस स्थिति में कुछ जातियों को उसी नौकरी में बने रहने के लिए मजबूर करने से शोषण के खिलाफ मौलिक अधिकार, जैसे कि जबरन श्रम पर रोक, का उल्लंघन होता है जो उनकी जाति से जुड़ा हुआ है।  किसी भी पेशे को अपनाने के अधिकार का उल्लंघन होता है क्योंकि अधिकारियों द्वारा उन्हें कोई अन्य नौकरी देने से मना कर दिया जाता है।  इस उदाहरण में खतरनाक नौकरियों में बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध का भी उल्लंघन किया गया है।


  प्रश्न 8: एक मानवाधिकार समूह की याचिका ने अदालत का ध्यान देश में भुखमरी और भुखमरी की स्थिति की ओर आकर्षित किया।  भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में पांच करोड़ टन से अधिक अनाज भंडारित था।  शोध से पता चलता है कि बड़ी संख्या में राशन कार्डधारकों को यह नहीं पता है कि वे उचित मूल्य की दुकानों से कितना खाद्यान्न खरीद सकते हैं।  इसने अदालत से अनुरोध किया कि वह सरकार को अपनी सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार करने का आदेश दे। 

 a) इस मामले में कौन से विभिन्न अधिकार शामिल हैं?  ये अधिकार आपस में कैसे जुड़े हुए हैं? 

 b) क्या ये अधिकार जीवन के अधिकार का हिस्सा होने चाहिए?  

उत्तर:- a)इस मामले में भाषण और अभिव्यक्ति के अधिकार और संवैधानिक उपचार का उपयोग शामिल है।  इन अधिकारों का उपयोग मानवाधिकार समूह द्वारा अदालत को भूख और भुखमरी की मौजूदा स्थिति के बारे में सूचित करने के लिए किया गया था, इस प्रकार अदालत से सरकार को सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार करने का आदेश देने का अनुरोध किया गया था।  भूख और भुखमरी को संबोधित करने के लिए लोगों के जीवन के अधिकार का भी आह्वान किया जाता है।  ये अधिकार आपस में जुड़े हुए हैं क्योंकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संवैधानिक उपचारों का आधार प्रदान करती है।  


b) हाँ, ये अधिकार जीवन के अधिकार का हिस्सा होने चाहिए क्योंकि ये लोगों के भरण-पोषण के लिए आवश्यक हैं।  


प्रश्न 9: इस अध्याय में उद्धृत संविधान सभा में सोमनाथ लाहिड़ी का वक्तव्य पढ़ें।  क्या आप उससे सहमत हैं?  यदि हां, तो इसे सिद्ध करने के लिए उदाहरण दीजिए।  यदि नहीं, तो उसकी स्थिति के विरुद्ध तर्क दीजिए।  


उत्तर: तर्क या स्पष्टीकरण से समर्थित कोई भी उत्तर उद्देश्य का समाधान करेगा। यह दृढ़तापूर्वक अनुशंसा की जाती है कि आप समाधान स्वयं तैयार करें।

  हालाँकि, आपके संदर्भ के लिए एक नमूना समाधान प्रदान किया गया है: 

हाँ।  सोमनाथ लाहिड़ी ने कहा कि लगभग सभी अधिकारों के प्रावधानों के साथ एक परन्तुक जोड़ दिया गया है जिसने अधिकारों को न्यून कर दिया गया है और इसे पुलिस कांस्टेबल के दृष्टिकोण से तैयार किया गया है।  यह कुछ प्रावधानों में दिखाई देता है जो मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने के लिए लागू किए जाते हैं।  निवारक हिरासत का प्रावधान जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का खंडन करता है और अक्सर सरकार द्वारा इसका दुरुपयोग किया जाता है।  स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत ऐसे कई अधिकार हैं जिन पर सरकार विभिन्न तरीकों से प्रतिबंध लगाती है।  उदाहरण के लिए, कुछ क्षेत्रों में पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध के प्रावधान का प्रशासन द्वारा दुरुपयोग किया जा सकता है। 


 प्रश्न 10: आपकी राय में मौलिक अधिकारों में से कौन सा अधिकार सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है?  इसके प्रावधानों को सारांशित करें और यह दिखाने के लिए तर्क दें कि यह सबसे महत्वपूर्ण क्यों है।


  उत्तर: संवैधानिक उपचारों का अधिकार सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है।  इस अधिकार के प्रावधानों में रिट जारी करने के लिए अदालतों में जाने का अधिकार भी शामिल है।  सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय अधिकारों के कार्यान्वयन के लिए सरकार को निर्देश जारी कर सकते हैं।  अधिकारों को लागू करने के लिए अदालतों द्वारा जारी किए गए विशेष आदेश इस प्रकार हैं:


 बंदी प्रत्यक्षीकरण - अदालत बंदी प्रत्यक्षीकरण के रिट के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को उसके सामने पेश करने का आदेश दे सकती है।  यह गैरकानूनी आधार पर गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की रिहाई का आदेश भी दे सकता है।


परमादेश- यह रिट अदालतों द्वारा तब जारी की जाती है जब कोई विशेष अधिकारी सौंपे गए कानूनी कर्तव्य का पालन नहीं करता है और व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन करता है। 


 निषेध- यह रिट उच्च न्यायालय द्वारा तब जारी की जाती है जब कोई मामला निचली अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर हो।  


अधिकार पृच्छा - यह रिट अदालत द्वारा तब जारी की जाती है जब उसे पता चलता है कि कोई व्यक्ति उस पद पर है, जिसका वह हकदार नहीं है। 


 उत्प्रेषण- अदालत किसी लंबित मामले को निचली अदालत या किसी अन्य प्राधिकारी से उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का आदेश देती है। 


 संवैधानिक उपचारों का अधिकार मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए संविधान के ढांचे के भीतर एक कानूनी समाधान प्रदान करता है और राज्य शक्ति पर नियंत्रण प्रदान करता है।  यह सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है क्योंकि यह अन्य मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है।  यह अन्य अधिकारों की प्राप्ति के साथ-साथ उनके लिए सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है।  डॉ. अम्बेडकर के अनुसार यह अधिकार 'संविधान का हृदय और आत्मा' है।


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