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Part I of the Constitution: Bridging India's Unity and Diversity

भारतीय संघ की संरचना: संविधान के भाग I का पुनरावलोकन प्रासंगिक प्रस्तावना स्वतंत्रता प्राप्ति के पचहत्तर वर्षों बाद, यह आवश्यक हो गया है कि हम उन संवैधानिक नींवों की पुनः समीक्षा करें जिन्होंने भारत को एक संप्रभु, लोकतांत्रिक और संघीय राष्ट्र के रूप में गढ़ा। भारतीय संविधान का भाग I, जो अनुच्छेद 1 से 4 तक विस्तृत है, भारत के संघीय स्वरूप, क्षेत्रीय संरचना और संस्थागत लचीलापन को परिभाषित करता है — और इस प्रकार एक ऐसे राष्ट्र की आधारशिला रखता है जो विविधता, संक्रमण और आकांक्षाओं को समाहित करने में सक्षम है। भारत: राज्यों का एक संघ, न कि संघों का समूह संविधान का अनुच्छेद 1 उद्घोषित करता है, "भारत, अर्थात इंडिया, राज्यों का एक संघ होगा।" 'संघ' शब्द का चयन, 'संघीय राज्य' के बजाय, पूर्णतः विचारोपरांत किया गया था। यह घोषणा करता है कि भारत एक अविच्छेद्य संघ है — अमेरिकी संघ की भांति संधिपरक (contractual) नहीं, बल्कि ऐसा ढांचा जिसमें राज्य अपनी सत्ता संविधान से प्राप्त करते हैं, न कि ऐतिहासिक संप्रभुता से। यह व्यवस्था संस्थापकों की उस दृष्टि को प्रतिबिंबित करती है, ...
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India's Suspension of the Indus Waters Treaty: Strategic, Ethical and Diplomatic Implications

भारत का सिंधु जल संधि स्थगन निर्णय: रणनीतिक, नैतिक और कूटनीतिक विश्लेषण | Gynamic GK भारत का सिंधु जल संधि स्थगन निर्णय: रणनीतिक, नैतिक और कूटनीतिक विश्लेषण प्रकाशित तिथि: 24 अप्रैल 2025 | लेखक: Gynamic GK Team भूमिका 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। इसके जवाब में भारत सरकार ने सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty - IWT) को अस्थायी रूप से स्थगित करने का निर्णय लिया। यह केवल कूटनीतिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि रणनीतिक नीति, नैतिक विवेक और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भारत की बदली प्राथमिकताओं का प्रतीक है। "पानी जीवन का आधार है, परंतु कूटनीति में यह शांति और युद्ध दोनों का हथियार बन सकता है।" 1. सिंधु जल संधि: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि संधि पर हस्ताक्षर: 19 सितंबर 1960 को भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पा...

Historic Verdict: SC Stops Governors from Playing President Card

राज्यपाल दूसरी बार अपना मन नहीं बदल सकते: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला नई दिल्ली, 8 अप्रैल 2025 – सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण और स्पष्ट निर्णय में यह स्थापित किया कि राज्यपाल किसी विधेयक को दूसरी बार राज्य विधानमंडल द्वारा पारित किए जाने के बाद उसे राष्ट्रपति के विचारार्थ नहीं भेज सकते। यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 200 की व्याख्या और राज्यपालों की शक्तियों के दायरे को परिभाषित करने में मील का पत्थर साबित हो सकता है। मामले की पृष्ठभूमि: तमिलनाडु के राज्यपाल का विवाद न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह टिप्पणी तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि के उस कदम के संदर्भ में की, जिसमें उन्होंने 10 विधेयकों को पहले अस्वीकार किया और फिर विधानसभा द्वारा पुनः पारित किए जाने के बाद उन्हें राष्ट्रपति के पास भेज दिया। कोर्ट ने इस कार्रवाई को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि राज्यपाल को यह निर्णय पहली बार में ही लेना चाहिए था, न कि दूसरी बार विधेयक उनके समक्ष आने पर। पीठ ने इसे "सच्चा निर्णय नहीं" माना और राज्यपाल के आचरण पर सवाल उठाए। संविधान के अनुच्छेद 200...

Chapter-5 Rights : 11th Political Science Notes

✍️ अधिकार: परिभाषा, प्रकार, उत्पत्ति, संरक्षण और परीक्षा उपयोगी तथ्य ✅ 1. अधिकार का अर्थ और महत्व परिभाषा: अधिकार वे वैध मांगें हैं, जो व्यक्ति करता है, समाज स्वीकार करता है और राज्य उन्हें लागू करता है। विशेषता: अधिकार सामाजिक मान्यता और कानूनी संरक्षण प्राप्त होते हैं। महत्व: व्यक्ति की गरिमा और स्वतंत्रता की रक्षा। लोकतंत्र को सशक्त बनाना। सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास को प्रोत्साहन। उदाहरण: शिक्षा का अधिकार (RTE, 2009) – 6-14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार। परीक्षा टिप: "समाज + राज्य = अधिकार" फॉर्मूला याद रखें। ⚖️ 2. अधिकार नहीं मानी जाने वाली गतिविधियाँ परिभाषा: वे कार्य जो समाज के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए हानिकारक होते हैं, अधिकार नहीं माने जाते। उदाहरण: धूम्रपान या नशीली दवाओं का सेवन (स्वास्थ्य को नुकसान)। सड़क पर तेज गति से वाहन चलाना (दूसरों की सुरक्षा को खतरा)। कारण: ये दूसरों के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। परीक्षा नोट: "हानिकारक = अधिकार नहीं" सूत्र याद रखें। 🌍 3. मानव अधिकारों की सार्व...

Cold War and Non-Aligned Movement: A Detailed Study

12th Political Science : Essential for Background. Cold War and Non-Aligned Movement: A Detailed Study. ✍️ By ARVIND SINGH PK REWA शीत युद्ध का अर्थ और परिभाषा शीत युद्ध (Cold War) द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका और सोवियत संघ (USSR) के बीच उत्पन्न वैचारिक, कूटनीतिक और सामरिक संघर्ष को कहते हैं। यह प्रत्यक्ष युद्ध नहीं था, बल्कि मनोवैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और प्रचार युद्ध था। दोनों महाशक्तियों के बीच सैन्य प्रतिस्पर्धा, गुप्तचरी, हथियारों की होड़ और प्रचार अभियान इसके मुख्य पहलू थे। ✅ प्रथम प्रयोग: "शीत युद्ध" शब्द का सर्वप्रथम उपयोग अमेरिकी राजनीतिज्ञ बर्नार्ड बैरूच ने 16 अप्रैल 1947 को किया था, लेकिन इसे लोकप्रियता पत्रकार वॉल्टर लिपमैन की पुस्तक The Cold War (1947) से मिली। 📚 शीत युद्ध की परिभाषाएँ डॉ. एम.एस. राजन: "शीत युद्ध सत्ता संघर्ष की राजनीति का मिश्रित परिणाम है। यह दो विरोधी विचारधाराओं और जीवन पद्धतियों के संघर्ष का परिणाम है।" डी.एफ. फ्लेमिंग: "शीत युद्ध वह युद्ध है, जो युद्धभूमि पर नहीं, बल्कि लोगों के मन-मस्तिष्क में लड़ा ज...

Social Justice Class 11th Notes in Hindi

✅ सामाजिक न्याय और न्याय के सिद्धांत: एक विस्तृत विश्लेषण  (NCERT आधारित प्रश्नों सहित) 🔹 भूमिका सामाजिक न्याय समाज में समानता, स्वतंत्रता और गरिमा की स्थापना का आधार है। इसका उद्देश्य जाति, धर्म, लिंग, भाषा, आर्थिक स्थिति या अन्य किसी आधार पर भेदभाव के बिना सभी को समान अवसर और अधिकार प्रदान करना है। यह केवल आर्थिक समानता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और विधिक आयाम भी शामिल हैं। कल्याणकारी राज्य की अवधारणा सामाजिक न्याय के सिद्धांतों पर आधारित है, जहाँ सरकार नीतियों के माध्यम से नागरिकों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने का प्रयास करती है। न्याय की अवधारणा मानव सभ्यता के विकास के साथ परिवर्तित होती रही है। यह लेख सामाजिक न्याय के विभिन्न सैद्धांतिक पहलुओं, भारतीय परिप्रेक्ष्य, चुनौतियों, समाधान और NCERT आधारित प्रश्नों का विस्तृत विश्लेषण करता है, जो परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है। ⚖️ न्याय की विभिन्न व्याख्याएँ न्याय की परिभाषा समय, स्थान और सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भों के अनुसार बदलती रही है। प्रमुख विचारकों ने इसे विभिन्न दृष्टिकोणों से परिभाषित...

12th Political Science Important Questions for Board Exam

   12th Political Science Important Questions for Board Exam 2025 नोट :  उपरोक्त लिस्ट में उन चैप्टर्स के भी प्रश्न शामिल हैं जिसे वर्तमान NCERT बुक्स से बाहर कर दिया गया है लेकिन ये चैप्टर्स प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए उपयोगी हैं इसलिए यहां जगह दिया गया है। अध्याय 1.1: शीत युद्ध का दौर शीत युद्ध से क्या अभिप्राय है? शीत युद्ध के कोई तीन महत्वपूर्ण कारण लिखिए। मार्शल एवं ट्रूमैन योजना के क्या उद्देश्य थे? क्यूबा मिसाइल संकट शीत युद्ध का चरम बिंदु माना जाता है, क्यों? तनाव शैथिल्य का क्या अर्थ है? क्यूबा मिसाइल संकट के बाद तनाव शैथिल्य के उदय के कारणों को स्पष्ट कीजिए। द्वि-ध्रुवीय विश्व के उदय के क्या कारण थे? दोनों शक्ति गुटों के बीच शीत युद्ध संबंधी दायरे कौन-कौन से थे? द्विध्रुवियता के परिणाम या प्रभाव स्पष्ट कीजिए। शीत युद्ध के प्रभाव को स्पष्ट कीजिए। गुटबंदी से क्या अभिप्राय है? महाशक्तियों को छोटे देशों के साथ सैन्य गठबंधन के क्या फायदे थे? गुटनिरपेक्षता से क्या अभिप्राय है? यह तटस्थता से किस प्रकार अलग है? गुट-निरपेक्ष आंदोलन के उद्...

Fundamental Rights in the Indian Constitution 11th Political Science Notes in Hindi

भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार और नीति निदेशक सिद्धांत: एक विस्तृत अध्ययन भारतीय संविधान एक जीवंत दस्तावेज है जो व्यक्ति की गरिमा और राज्य की जिम्मेदारियों को संतुलित करता है। इसके दो प्रमुख स्तंभ—मौलिक अधिकार और नीति निदेशक सिद्धांत—लोकतंत्र की नींव रखते हैं। मौलिक अधिकार नागरिकों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और समानता की गारंटी देते हैं, जबकि नीति निदेशक सिद्धांत सरकार को सामाजिक-आर्थिक न्याय और कल्याणकारी राज्य की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। यह अध्ययन इन दोनों की उत्पत्ति, विशेषताओं, अंतर और उनके परस्पर संबंधों को विस्तार से प्रस्तुत करता है। 1. मौलिक अधिकार: परिभाषा और उत्पत्ति मौलिक अधिकार वे मूलभूत अधिकार हैं जो संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किए जाते हैं और राज्य के खिलाफ उनकी रक्षा करते हैं।  भारतीय संविधान के भाग 3 (अनुच्छेद 12-35) में इनका उल्लेख है। इनकी प्रेरणा अमेरिकी संविधान के "बिल ऑफ राइट्स" से ली गई है, जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर जोर देता है। भारत में मौलिक अधिकारों की अवधारणा ब्रिटिश शासन के दौरान स्वतंत्रता संग्राम के अनुभवों से भी प्रभावित हुई, जब नागरिको...

Constitution Why and How Class 11th Notes in Hindi

 11th राजनीति विज्ञान चैप्टर 1 : संविधान क्यो और कैसे संविधान: अर्थ और आवश्यकता संविधान नियमों और कानूनों का वह समूह है जो सरकार को संचालित करने और नागरिकों के अधिकारों व कर्तव्यों को परिभाषित करने के लिए आवश्यक होता है। अंग्रेजी शब्द "Constitution" का अर्थ सरकार की संरचना से है। यह न केवल सरकार के विभिन्न अंगों (कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका) के बीच संबंधों को स्पष्ट करता है, बल्कि सरकार और नागरिकों के बीच संबंधों को भी निर्धारित करता है। संविधान के बिना राज्य अराजकता में बदल जाता है, जैसा कि जेलिनेक ने कहा, "संविधान के बिना राज्य, राज्य नहीं, अराजकता होगी।" संविधान की आवश्यकता सीमित सरकार:  संविधान सरकार की शक्तियों को सीमित करता है, जिससे उसकी निरंकुशता पर अंकुश लगता है और नागरिकों के हितों की रक्षा होती है। नागरिकों के अधिकारों की रक्षा:  यह नागरिकों के अधिकारों को परिभाषित और संरक्षित करता है। न्यायपालिका इन अधिकारों के उल्लंघन पर सरकार को नियंत्रित करती है। सरकारी अंगों के बीच संबंध:  यह सरकार के विभिन्न अंगों की शक्तियों और उनके आपसी संबंधों को स्पष्ट कर...

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