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The Evolution of Indian Citizenship: Insights from Part 2 of the Constitution

भारतीय संविधान भाग 2: नागरिकता और सामाजिक न्याय की दिशा भारत का संविधान, दुनिया के सबसे विस्तृत और समावेशी संविधानों में से एक है, जो न केवल राज्य की संरचना और प्रशासन के ढांचे को निर्धारित करता है, बल्कि नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। भारतीय संविधान का भाग 2 भारतीय नागरिकता से संबंधित है, जो एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के मूलभूत ताने-बाने को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नागरिकता की परिभाषा और महत्व संविधान का भाग 2 भारतीय नागरिकता को परिभाषित करता है, यह स्पष्ट करता है कि एक व्यक्ति को भारतीय नागरिकता कब और कैसे प्राप्त होती है, और किन परिस्थितियों में यह समाप्त हो सकती है। नागरिकता, किसी भी देश में व्यक्ति और राज्य के बीच एक संप्रभु संबंध को स्थापित करती है। यह एक व्यक्ति को अपने अधिकारों का दावा करने का अधिकार देती है और साथ ही राज्य के प्रति उसकी जिम्मेदारियों को भी स्पष्ट करती है। भारतीय संविधान में नागरिकता की प्राप्ति के विभिन्न आधार हैं, जैसे जन्म, वंश, और पंजीकरण के माध्यम से। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति, जो भारत...

12th Political Science L-1.6 : अंतर्राष्ट्रीय संगठन

 अंतर्राष्ट्रीय संगठन

ऐसे संगठन जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई देशों द्वारा मिलकर बनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय संगठन कहलाते हैं। इन संगठनों के सदस्य देश होते हैं और यह पूरे विश्व के लिए काम करते हैं।


अंतर्राष्ट्रीय संगठन की जरूरत


  • ऐसी समस्याओं को सुलझाने के लिए जिनका समाधान कोई एक देश नहीं कर सकता।

  • देशों के बीच समझौता करवाने के लिए।

  • देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए।

  • विश्व में युद्ध होने की संभावना को कम करने के लिए।


मुख्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन


  • लीग आफ नेशंस 

  • संयुक्त राष्ट्र संघ

  • विश्व बैंक

  • विश्व व्यापार संगठन

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

  • एमनेस्टी इंटरनेशनल

  • ह्यूमन राइट्स वाच

  • युनेस्को

  • यूनिसेफ


लीग ऑफ नेशंस


प्रथम विश्वयुद्ध की वजह से पूरी दुनिया को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा ।इस तरह के विश्वयुद्ध को दोबारा होने से रोकने और विश्व में शांति बनाए रखने के लिए सभी देशों ने एक अंतरराष्ट्रीय संगठन बनाने की सोची।ताकि देशों के आपसी विवादों को बातचीत से सुलझाया जा सके और भावी युद्धों को रोका जा सके।इन्हीं कारणों से लीग ऑफ नेशंस को बनाया गया।यह संगठन ज्यादा सफल नहीं हुआ और दुनिया को दूसरे विश्वयुद्ध का सामना करना पड़ा।दूसरा विश्व युद्ध और भी ज्यादा खतरनाक रहा और इसमें प्रथम विश्व युद्ध से भी ज्यादा नुकसान हुआ।सभी देशों को महसूस हुआ कि लीग आफ नेशंस को और ज्यादा मजबूत बनाने की जरूरत है।इसीलिए लीग आफ नेशंस को बदल कर संयुक्त राष्ट्र संघ बना दिया गया।इसीलिए संयुक्त राष्ट्र संघ को लीग आफ नेशंस का उत्तराधिकारी माना जाता है।


संयुक्त राष्ट्र संघ


  • स्थापना -  24 अक्टूबर 1945

  • सदस्य - 193  (193वां सदस्य दक्षिणी सूडान है)

  • मुख्यालय - न्यूयॉर्क


उद्देश्य


  • विश्व में शांति बनाए रखना।

  • देशों के आपसी विवाद को बातचीत से सुलझाना।

  • देशों की मदद करना।

  • देशों के सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।

  • देशों के बीच संधियां करवाना।

  • विश्व में सहयोग की भावना विकसित करना।


प्रमुख अंग


संयुक्त राष्ट्र संघ के 6 प्रमुख अंग हैं।


  1. सुरक्षा परिषद

  2. महासभा

  3. सचिवालय

  4. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय

  5. आर्थिक और सामाजिक परिषद

  6. न्यास परिषद


सुरक्षा परिषद


UNO का सबसे महत्वपूर्ण अंग है सुरक्षा परिषद है। सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य होते हैं, जो दो भागों में विभाजित होते हैं।


पांच स्थाई सदस्य


अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन


हर स्थाई सदस्य के पास एक खास पावर होती है जिसे वीटो या निशेषाधिकार कहा जाता है। वीटो का प्रयोग करके स्थाई सदस्य कोई भी प्रस्ताव रोक सकते हैं।


दस अस्थाई सदस्य 2 साल के लिए चुने जाते हैं।


5 अस्थायी सदस्य प्रत्येक वर्ष सेवानिवृत्त होते हैं और उनका स्थान 5 नए सदस्य लेते हैं, जिनका निर्वाचन महासभा द्वारा किया जाता है।


सुरक्षा परिषद के कार्य


  • विश्व में शांति बनाए रखना।

  • विवादों को बातचीत के माध्यम से सुलझाने का प्रयास करना।

  • शांति भंग करने वालों को सजा देना।

  • आक्रमणकारी के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही करना।

  • नए सदस्यों की सदस्यता के संबंध में महासभा से सिफारिश करना।

  • महासचिव की नियुक्ति के संबंध में महासभा से सिफारिश करना।

  • महासभा के साथ संयुक्त रूप से अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करना।



महासभा


UNO के सबसे मुख्य अंगों में से एक है महासभा। महासभा में यूएनओ के सभी सदस्य देशों को एक वोट का अधिकार दिया जाता है। यहां पर सभी देश बराबर होते हैं। महासभा एक देश की संसद जैसा होता है जहां पर विवादों पर चर्चा की जाती है। महासभा में सामान्य विवादों पर फैसले बहुमत तथा कुछ खास विवादों पर फैसले दो तिहाई बहुमत से लिए जाते हैं। इसकी बैठक साल में एक बार होती है ।


कार्य व शक्तियां


  • नए सदस्यों का प्रवेश और किसी सदस्य का निलंबन महासभा के द्वारा किया जा सकता है।

  • UNO के बजट को पारित करना।

  • अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाये रखने के लिए सहयोग के सिद्धांतों को प्रस्तावित करना।

  • अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा से जुड़े किसी प्रश्न पर चर्चा करना।

  • सुरक्षा परिषद व अन्य अंगों द्वारा प्राप्त प्रतिवेदनों का विवेचन करना।

  • सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासचिव की नियुक्ति करना।

  • सुरक्षा परिषद के साथ संयुक्त रूप से अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करना।

  • सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्यों,आर्थिक व सामाजिक परिषद तथा न्यास परिषद के सदस्यों का चुनाव।


सचिवालय


UNO की नौकरशाही को सचिवालय कहा जाता है। इसका अध्यक्ष महासचिव होता है।वर्तमान महासचिव एंटोनियो गुटेरेस हैं।महासचिव के नीचे उपमहासचिव तथा कर्मचारियों का विशाल स्टाफ होता है। सचिवालय UNO के रोजमर्रा के कार्यो को निपटाता है, अन्य अंगों को जानकारी देता है, उनके कार्यों का लेखा-जोखा रखता है तथा संघ के कार्यों के बारे में महासभा को अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।


अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय


  • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय देशों के बीच होने वाले विवादों को सुलझाता है।

  • यह नीदरलैंड के हेंग में स्थित है। 

  • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में 15 न्यायाधीश होते हैं। जिन्हें 9 सालों के लिए चुना जाता है। हर तीसरे साल 5 न्यायाधीश सेवानिवृत्त होते हैं और 5 नये न्यायाधीशों का चुनाव संयुक्त रूप से सुरक्षा परिषद व महासभा द्वारा किया जाता है। 

  • सभी फैसले बहुमत से लिए जाते हैं।


आर्थिक और सामाजिक परिषद


आर्थिक और सामाजिक परिषद विश्व में सांस्कृतिक आर्थिक सामाजिक और शैक्षणिक विकास के लिए काम करती है।

स्थापना -1945

वर्तमान में सदस्य - 54

बैठक - इस परिषद की बैठक वर्ष में दो बार होती है।

जुलाई में - जिनेवा में

अप्रैल में - न्यूयॉर्क में

कार्य- विश्व में आर्थिक सामाजिक शैक्षणिक और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देना।


न्यास परिषद


  • न्यास परिषद को उन क्षेत्रों की देखरेख करने के लिए बनाया गया जहां दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद स्वायत्त शासन की शुरूआत नहीं हो सकी थी।

  • मूल रूप से 11 ऐसे न्यास प्रदेश थे।

  • न्यास परिषद का कार्य इन क्षेत्रों में स्वतंत्र या स्वायत्त शासन की स्थापना में सहायता देना था।

  •  पलाऊ द्वीप समूह ऐसा अंतिम न्यास क्षेत्र था,जिस पर अमेरिका द्वारा प्रशासन चलाया जा रहा था।

  • पलाऊ से न्यास समझौता समाप्त किये जाने के पश्चात 1 नवंबर 1994 को न्यास परिषद अपना कार्य औपचारिक रूप से निलंबित कर दिया है।

  • फिर भी न्यास परिषद का विघटन नही किया गया है कारण यह है कि आवश्यकता पढ़ने पर इसे पुनः क्रियाशील किया जा सके।

  •  हाल ही में  न्यास परिषद को वैश्विक पर्यावरण और संसाधन प्रणाली का ट्रस्टी बनाये जाने का प्रस्ताव रखा गया है।


संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार


शीत युद्ध की समाप्ति के बाद से विश्व में कई सारे परिवर्तन हुए हैं और अब विश्व के सामने अलग तरह की चुनौतियां हैं।


शीत युद्ध के बाद आए बदलाव


  • सोवियत संघ का विघटन

  • एक ध्रुवीय विश्व व्यवस्था

  • अमेरिकी वर्चस्व की शुरुआत

  • चीन का तेजी से विकास करना

  • एशिया की अर्थव्यवस्था का तेजी से विकास


नई चुनौतियां


  • आतंकवाद

  • जलवायु परिवर्तन

  • ग्लोबल वार्मिंग

  • गृहयुद्ध

  • परमाणु हथियारों का प्रसार

  • पर्यावरण का विनाश

  • नई महाशक्तियों का उदय


इन्हीं बदलावों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार की बात सामने आई है। क्योंकि स्थापना के बाद से संयुक्त राष्ट्र संघ में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया जबकि विश्व की परिस्थितियां बहुत ज्यादा बदल चुकी हैं।


प्रस्तावित सुधार


  • UNO के न्यायाधिकार के क्षेत्र में आने वाले मुद्दों को बढ़ाना।

  • UNO की बनावट में सुधार करना।

  • वीटो वाले देशों की संख्या को बढ़ाना।

  • सुरक्षा परिषद में नए देशों को शामिल करना।

  • UNO के कार्य करने के तरीकों को बदलना।


इन्हीं मांगों को देखते हुए 1992 में UNO की महासभा में एक प्रस्ताव पास किया गया।


इस प्रस्ताव में तीन मुख्य शिकायतें थी-


  • सुरक्षा परिषद वर्तमान राजनीतिक स्थिति की नुमाइंदगी नहीं करता।

  • इसके फैसलों पर पश्चिमी देशों के हितों की छाप दिखती है।

  • सुरक्षा परिषद में बराबर का प्रतिनिधित्व नहीं है।


👉बदलते हुए परिवेश में संयुक्त राष्ट्र संघ को और अधिक प्रासंगिक बनाने के लिए सदस्य देशों द्वारा सितंबर 2005 में लिए निर्णय के अनुसार उठाए जाने वाले कदमों को उजागर कीजिए।


  • शांति संस्थापक आयोग का गठन।

  • यदि कोई राष्ट्र अपने नागरिकों को अत्याचार से बचाने में असफल हो जाए तो विश्व बिरादरी उसकी जिम्मेदारी ले - इस बात की स्वीकृति।

  • मानवाधिकार परिषद की स्थापना (19 जून 2006 से सक्रिय)।

  • सहस्राब्दी विकास लक्ष्य को प्राप्त करने पर सहमति।

  • हर प्रकार के आतंकवाद की निंदा।

  • लोकतंत्र कोष का गठन।

  • न्यास परिषद को समाप्त करने पर सहमति।


👉इसी के साथ सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता प्रदान करने के लिए कुछ मापदंड प्रस्तावित किए गए। प्रस्तावित किए गए हैं (बनाए नहीं गए हैं)


ऐसा कहा गया कि जो इन मापदंडों को पूरा करेगा वह सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बन सकता है।


  • बड़ी आर्थिक शक्ति

  •  बड़ी जनसंख्या

  • बड़ा भू-क्षेत्र

  • विशाल सैन्य ताकत

  • UNO के बजट में उच्च योगदान

  • लोकतंत्र और मानवाधिकारों का सम्मान

  • सांस्कृतिक विविधता


अगर ऊपर लिखे मापदंडों के हिसाब से स्थाई सदस्य चुना जाए तो भारत सभी मापदंडों को पूरा करता है और UNO की सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य बनने का सबसे बड़ा दावेदार है।


👉संयुक्त राष्ट्र के ढांचे को बदलने के लिए सुझाए गए उपायों के क्रियान्वयन में आ रही कठिनाइयों का आलोचनात्मक मूल्यांकन

संयुक्त राष्ट्र के ढांचे को बदलने के लिए सुझाए गए उपायों के क्रियान्वयन में आ रही कठिनाइयां इस प्रकार हैं-


  • सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए किसी देश की अर्थव्यवस्था कितनी बड़ी होनी चाहिए अथवा उसके पास कितनी बड़ी सैन्य-ताकत होनी चाहिए?इस विषय में मतभेद है।

  • कोई राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में कितना योगदान करे कि सुरक्षा परिषद की सदस्यता हासिल कर सके? इसमें भी मतभेद है।

  • अगर लोकतंत्र और मानवाधिकार के प्रति सम्मान ही कसौटी हो तो इस मामले में बेहतरीन रिकॉर्ड वाले देशों की लाइन लग जायेगी और इतने देशों को स्थायी सदस्यता देना संभव नहीं है।

  • इसके अतिरिक्त यह भी सवाल है कि प्रतिनिधित्व के मसले को कैसे हल किया जाए?क्या भौगोलिक दृष्टि से बराबरी का प्रतिनिधित्व उचित होगा?


एक ध्रुवीय विश्व और UNO


👉विश्व के लगभग सभी देशों का मानना है कि एक ध्रुवीय विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ प्रभावी नहीं है। ऐसा इसलिए कहा गया क्योंकि -


  • UNO पर अमेरिका का खास प्रभाव है।

  • UNO के बजट में सबसे ज्यादा योगदान अमेरिका देता है।

  • UNO का मुख्यालय अमेरिका के न्यूयॉर्क में है और इसी वजह से इसके ज्यादातर नौकरशाह अमेरिकी हैं।

  • UNO की सुरक्षा परिषद में अमेरिका स्थाई सदस्य के रूप में है और उसके पास वीटो का अधिकार भी है।

  • अपनी सैन्य और आर्थिक शक्ति के कारण अमेरिका हमेशा से ही UNO की अनदेखी करता आया है।


👉संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थाई सदस्य के रूप में प्रविष्टि को कुछ देश क्यों चुनौती देते हैं? स्पष्ट कीजिए।


संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थाई सदस्य के रूप में प्रविष्टि का निम्नलिखित आधारों पर विरोध किया जा रहा है


  • कुछ देश भारत के परमाणु हथियारों को लेकर चिंतित हैं।

  • कुछ देशों का मानना है कि पाकिस्तान के साथ संबंधों में कठिनाई के कारण स्थाई सदस्य के रूप में अप्रभावी रहेगा।

  • कुछ देशों का कहना है कि यदि भारत को स्थाई सदस्यता दी जाती है तो उभरती हुई ताकतें जैसे ब्राजील, जर्मनी, जापान और दक्षिण अफ्रीका को भी शामिल करना पड़ेगा जिसका ये देश विरोध करते हैं।

  • कुछ देशों का विचार है कि अगर सुरक्षा परिषद में किसी तरह का विस्तार होता है तो अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका को अवश्य प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए क्योंकि मौजूदा सुरक्षा परिषद में इन महाद्वीपों की नुमाइंदगी नही है।





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